समावेशन: विकलांगता के साथ जीवन

जर्मनी में लगभग अस्सी लाख लोग गंभीर रूप से विकलांग हैं। विकलांगता कई प्रकार की होती हैं। कुछ लोग में शारीरिक रूप से विकलांग होते हैं, जैसे अंधे व्यक्ति या व्हीलचेयर पर निर्भर रहने वाले लोग। ऐसी विकलांगता अक्सर दिखती है। लेकिन कुछ विकलांगता ऐसी होती हैं, जो दिखाई नहीं देतीं। उदाहरण के लिए, सीखने में कठिनाई, पुराना कैंसर या मानसिक बीमारियाँ। कुछ लोग जन्म से ही विकलांग होते हैं। कभी-कभी विकलांगता किसी दुर्घटना या बीमारी के कारण होती है।

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Inklusion

Schild mit Rollstuhl vor einer Treppe © Goethe-Institut/ Simone Schirmer

अधिकार

2009 से, जर्मनी में संयुक्त राष्ट्र विकलांग अधिकार अधिनियम लागू है। जर्मन संविधान में लिखा है कि सभी लोग समान हैं। यह विकलांग व्यक्तियों के लिए भी लागू होता है। किसी को भी विकलांगता के कारण किसी प्रकार का नुकसान नहीं होना चाहिए। विकलांग व्यक्तियों को भी सामाजिक जीवन में पूरी तरह से भाग लेना चाहिए। दुर्भाग्य वश, विकलांग व्यक्तियों के लिए जीवन अभी भी कठिन है। समावेशन अभी भी हर जगह पूरी तरह से काम नहीं करता है।

राज्य कैसे मदद करता है?

जर्मन राज्य विकलांग लोगों की मदद करता है। उदाहरण के लिए, उन्हें कर कम देना पड़ता है। परामर्श के लिए सेवाएँ उपलब्ध हैं। उनकी चिकित्सीय देखभाल की जाती है। कभी-कभी बच्चों की देखभाल या घरेलू सहायता के खर्च का भुगतान किया जाता है। यह इस पर निर्भर करता है कि किसी व्यक्ति की विकलांगता किस प्रकार की है।

राज्य से सहायता पाने के लिए आपको एक गंभीर विकलांगता पहचान पत्र की आवश्यकता होती है। इसे आप विकलांगों के लिए आपूर्ति कार्यालय में आवेदन करके प्राप्त कर सकते हैं। इस दस्तावेज़ के साथ, आप सार्वजनिक परिवहन जैसे बस या मेट्रो (U-Bahn) का मुफ्त उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, आपको संग्रहालयों में मुफ्त प्रवेश भी मिलता है।

कार्यक्षेत्र में समावेशन

जो लोग विकलांग हैं, उनकी नौकरी खोजने में मदद की जाती है। उन्हें कार्यस्थल पर सुरक्षा दी जाती है। उनके नियोक्ता उन्हें आसानी से नौकरी से नहीं निकाल सकते। सबके लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने के लिए समानता अधिकारी होते हैं। ये लोग यह सुनिश्चित करते हैं कि विकलांग व्यक्तियों को कार्यस्थल पर कोई नुकसान न हो।

सुलभ पहुँच

विकलांग लोगों को भी एक अच्छा जीवन जीने का अधिकार है। इसके लिए यह आवश्यक है कि वे शहर में स्वतंत्र रूप से आवाजाही कर सकें। उदाहरण के लिए, जर्मनी में यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है कि व्हीलचेयर उपयोगकर्ता सार्वजनिक इमारतों में प्रवेश कर सकें। या वे बिना किसी समस्या के बसों और ट्रामों में चढ़ सकें। अक्सर रैंप उपलब्ध होते हैं।
दुर्भाग्य से, यह हर जगह संभव नहीं है। मेट्रो (U-Bahn)में पहुँच अक्सर इतनी सुलभ नहीं होती। वहां हमेशा लिफ्ट उपलब्ध नहीं होती।

दृष्टिबाधित या नेत्रहीन लोगों के लिए जमीन पर विशेष खांचे होते हैं। इन की सहायता से वे अपनी छड़ी की मदद से इमारत के अंदर जाने का रास्ता या बस स्टॉप आसानी से ढूंढ सकते हैं। कई ट्रैफिक लाइट्स एक विशेष आवाज करती हैं। इससे नेत्रहीन लोगों को पता चलता है कि सड़क पार करने का सही समय कब है। कुछ सार्वजनिक इमारतों में ब्रेल लिपि भी उपलब्ध होती है।

इंटरनेट पेज भी सुलभ रूप से उपलब्ध होने चाहिए ताकि सभी लोग वहां उपलब्ध जानकारी का उपयोग कर सकें। सरकारी कार्यालय और नगरपालिकाएं महत्वपूर्ण जानकारी आसान भाषा में प्रदान करते हैं। इसका उद्देश्य है कि सभी नागरिक इस जानकारी को समझ सकें। दृष्टि बाधित लोगों के लिए इंटरनेट पेज पर अक्षरों और पृष्ठभूमि के बीच अच्छा कंट्रास्ट होना आवश्यक है। इसके अलावा, सामग्री इस तरह डिज़ाइन की जानी चाहिए कि स्क्रीन रीडर (Screenreader) उसे पूरी तरह से पढ़ सके।

विकलांग बच्चों के लिए सहायता

क्या आपका बच्चा विकलांग है या किसी दीर्घकालिक बीमारी से पीड़ित है? आपके शहर का युवा कल्याण कार्यालय आपकी मदद कर सकता है।

छोटे बच्चों के लिए प्रारम्भिक सहायता उपलब्ध है। बच्चे के जन्म से लेकर स्कूल जाने की उम्र तक के लिए यह सहायता है। यह विशेष रूप से विकलांग बच्चों या उन बच्चों के लिए है, जो अन्य बच्चों की तुलना में थोड़ा धीमी गति से सीखते हैं। उदाहरण के लिए, इसमें दृष्टि सुधारने के लिए विशेष स्कूल या भाषाई विकास के लिए सहायता शामिल है।

विकलांग बच्चे भी किंडरगार्टन जा सकते हैं। इसके लिए समावेशी किंडरगार्टन हैं, जहां विकलांग और सामान्य बच्चे साथ-साथ जाते हैं। इसके अलावा, केवल विकलांग बच्चों के लिए विशेष किंडरगार्टन भी होते हैं।

यह बात स्कूल के लिए भी लागू है I विकलांग बच्चे या वे बच्चे जिन्हें विशेष सहायता की ज़रुरत है, उनके लिए जर्मनी में विशेष स्कूल हैं I ऐसे स्कूल भी हैं जहाँ समावेशी कक्षाएं उपलब्ध हैं I यानी: विकलांग बच्चे एवं सामान्य बच्चे एक साथ पढ़ते हैं I हर राज्य में इसकी स्थिति अलग-अलग है I

भेदभाव

यदि अधिकारों का पालन नहीं हो पाता है, तो कुछ मामलों में इसे भेदभाव कह सकते हैं। भेदभाव से निपटने के तरीकों के बारे में आप "भेदभाव से निपटने के उपाय" नामक पाठ में पढ़ सकते हैं।

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