बच्चों की देखभाल

Schild mit Aufschrift "Kindergarten" © Goethe-Institut/ Gina Bolle

यदि आप काम करते हैं तो आपको अपने बच्चे की देखभाल के लिए व्यवस्था करनी होगी। देखभाल का मतलब है: कोई और आपके बच्चे का ध्यान रखेगा। इसके लिये कई विकल्प हैं: शिशु गृह, खेल-कूद समूह, दिवा देखभाल माँ/दिवा देखभाल पिता, बालवाड़ी, शिशु देखभाल केंद्र या दोपहर की देखभाल।

Audio-Player: Artikel anhören

Artikel anhören

Kinderbetreuung

कीटा – साथ खेलना, साथ सीखना

जर्मनी में कई बच्चे एक दिवा शिशु देखभाल केंद्र (कीटा) जाते हैं। वहां वे अन्य बच्चों के साथ खेलते हैं और उनके नए दोस्त बनते हैं। आपका बच्चा आपके साथ घर पर भी रह सकता है। लेकिन कीटा जाने के कई फायदे हैं। आपका बच्चा वहाँ जर्मन भाषा के साथ अन्य चीजें भी सीखता है।

शहरों और नगरपालिकाओं के पास उनके आकार के अनुसार कई कीटा होते हैं। गिरजाघर द्वारा या अन्य संस्थाओं द्वारा संचालित कीटा भी होते हैं I उदाहरण के लिए: CARITA(सहायता संगठन) I कुछ कीटा निजी और कुछ माता-पिता द्वारा संचालित भी होते हैं। माता-पिता द्वारा संचालित कीटा वे कीटा होते हैं जिन्हें माता-पिता ने मिलकर स्थापित किया होता है। कुछ कीटा द्विभाषीय होते हैं I वहां दो भाषाएँ बोली जाती हैं, जैसे कि जर्मन और स्पेनी भाषा। कुछ कीटा ऐसे भी होते हैं, जहां बच्चे पूरे दिन बाहर रहते हैं।

कीमत

ज्यादातर कीटा में पैसे देने होते हैं। निजी कीटा अक्सर नगर निगम द्वारा संचालित कीटा से ज्यादा महंगे होते हैं। विभिन्न संघीय राज्यों में खर्च अलग-अलग होते हैं और सभी को एक जैसा शुल्क नहीं देना पड़ता। यह कई चीजों पर निर्भर करता है: आपकी आमदनी कितनी है? आपका बच्चे की उम्र क्या है और बच्चा कीटा में कितने घंटे रहता है? कुछ संघीय राज्यों और शहरों में बच्चों की देखभाल मुफ्त होती है। यह कभी-कभी सभी देखभाल केन्द्रों के लिए लागू होता है, तो कभी केवल बालवाड़ी(किंडरगार्टन) के लिए। ज्यादातर बच्चों को कीटा में खाना और पेय पदार्थ मिलते हैं। इसके लिए आपको मासिक शुल्क देना होता है। यदि आपकी आमदनी कम है, तो सहायता उपलब्ध है। आप जॉब-सेंटर या समाज कल्याण कार्यालय में पता कर सकते हैं।

पंजीकरण

साल 2013 से, 12 महीने से अधिक उम्र के बच्चों को कीटा जाने का कानूनी अधिकार है। इसका मतलब है: अगर माता-पिता ऐसा चाहें तो 1 वर्ष से ऊपर का हर बच्चा कीटा जा सकता है । दुर्भाग्य से, यह अक्सर संभव नहीं हो पाता। जर्मनी में कीटा में स्थानों और शिक्षकों की कमी है। आपको पंजीकरण बहुत पहले से करवा लेना चाहिए। आपको अपने बच्चे का पंजीकरण कई कीटा में कराना चाहिए। यदि आपको कोई स्थान नहीं मिलता है, तो आप शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसका मतलब है: एक अदालत यह तय करेगी कि आपको मुआवजा मिलेगा या नहीं। उदाहरण के लिए, क्योंकि आपके बच्चे के लिए देखभाल की सुविधा नहीं होने के कारण आप काम नहीं कर पाए या कम काम कर पाए। या फिर इसलिए कि कोई अन्य देखभाल का विकल्प अधिक महंगा है।

3 साल तक के बच्चे

आप और आपका/आपकी साथी काम कर रहे हैं और आपका एक छोटा बच्चा है (कुछ महीने का या 3 साल से कम उम्र का)? तब आप अपने बच्चे को शिशु गृह भेज सकते हैं। लेकिन शिशु-गृहों में जगहें बहुत कम होती हैं। अक्सर माता-पिता गर्भावस्था के दौरान ही अपने बच्चों का पंजीकरण करा लेते हैं I

आपका बच्चा एक दिवा देखभाल माँ या दिवा देखभाल पिता के पास भी रह सकता है। इस स्थिति में देखभाल दिवा देखभाल माँ या दिवा देखभाल पिता के घर पर की जाती है। यहां बच्चों के केवल एक छोटे समूह की देखभाल होती है।

यदि आपको हर दिन बच्चों की देखभाल की आवश्यकता नहीं है लेकिन आप चाहते हैं कि आपका बच्चा अन्य बच्चों के संपर्क में आए, तो इसके लिए खेल समूह उपलब्ध हैं। माता-पिता और बच्चे साथ-साथ इन समूहों में जा सकते हैं या वहां बच्चों की कुछ घंटों के लिए देखभाल की जा सकती है। छोटे बच्चों के लिए अन्य माता-पिता और बच्चों के साझा कार्यक्रम भी हैं, जैसे कि बाल-तैराकी, सामूहिक गायन, या शारीरिक गतिविधियाँ। इन कार्यक्रमों में आप अन्य माता-पिता से मिल सकते हैं।

बालवाड़ी

3 साल की उम्र से लेकर स्कूल शुरू होने तक, बच्चे बालवाड़ी जाते हैं। यहां वे खेलते है, गाते हैं, चित्र बनाते हैं और हस्त-शिल्प का काम करते हैं। अधिकांश बालवाड़ियों में एक बड़ा बगीचा होता है। गर्मियों में, कई बालवाड़ियों के शिक्षक बच्चों को प्राकृतिक वातावरण में लेकर जाते हैं या अन्य प्रकार की यात्राओं का आयोजन करते हैं।

अधिकतम 5 साल की उम्र तक, सभी बच्चों को बालवाड़ी जाना चाहिए। यह स्कूल के लिए एक महत्वपूर्ण तैयारी है। कई बालवाड़ियों में भाषा के विकास में सहायता भी दी जाती है। यह उन बच्चों के लिए मददगार होती है, जो अभी अच्छी तरह से जर्मन नहीं बोलते। कभी-कभी जर्मन भाषा जर्मन बच्चों के लिए भी कठिन होती है। शिक्षक बच्चों के साथ भाषा सीखने के लिए खेल करते हैं, कहानियाँ पढ़ते हैं और उन्हें कहानियाँ पढ़ कर सुनाते हैं।

बालवाड़ियाँ छोटे कस्बों में भी उपलब्ध हैं। अपने बच्चे का जल्दी पंजीकरण करवा लें क्योंकि यहां भी स्थान सीमित होते हैं। बालवाड़ी में आपके बच्चे को दोस्त मिलते हैं, वह जर्मन बोलता है और नए देश को जल्दी समझता है।

कुछ बालवाड़ियां केवल दोपहर तक खुली रहती हैं (सुबह 7 या 8 बजे से लेकर दोपहर 12 या 1 बजे तक)। अन्य बालवाड़ियां पूरे दिन खुली रहती हैं (सुबह 7 या 8 बजे से लेकर शाम 4 या 5 बजे तक)।

स्कूल जाने वाले बच्चे

6 या 7 साल की उम्र से बच्चे को स्कूल जाना अनिवार्य होता है। इसे “अनिवार्य स्कूली शिक्षा” कहा जाता है। इसके बारे में अधिक जानकारी आप हमारे जानकारी-पाठ "स्कूल-प्रणाली" में पढ़ सकते हैं। यदि आप काम करते हैं, तो आपका बच्चा पूर्णकालिक विद्यालय जा सकता है या स्कूल के बाद शिशु देखभाल केंद्र या दोपहर देखभाल केंद्र में जा सकता है। आमतौर पर, आपका बच्चा वहां दोपहर का खाना भी खा सकता है।
शिशु देखभाल केंद्र में आपका बच्चा शाम 4 या 5 बजे तक रह सकता है। दोपहर देखभाल का समय अक्सर इतना लंबा नहीं होता।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

हमें फॉलो करें