विद्यालय प्रणाली
जर्मनी में विद्यालय जाना अनिवार्य है: बच्चों को 9 साल तक विद्यालय जाना जरूरी होता है। विद्यालयी वर्ष अलग-अलग संघीय राज्य के अनुसार अगस्त या सितंबर में शुरू होता है और जून या जुलाई तक चलता है।
विद्यालय जाने की अनिवार्यता और खर्चे
आमतौर पर छात्र-छात्राएं सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई करते हैं। यहां कोई विद्यालय शुल्क नहीं लिया जाता। कॉपियों, सामग्रियों या शैक्षिक भ्रमण के कुछ मामूली खर्चे होते हैं। निजी विद्यालयों में विद्यालय शुल्क देना पड़ता है।
क्या आपका बच्चा अभी भी इतनी अच्छी तरह से जर्मन नहीं बोलता? क्या उसे विशेष जर्मन भाषा की सहायता की आवश्यकता है? ऐसे में सीधे विद्यालय से संपर्क करें।
क्या आपका बच्चा अभी भी इतनी अच्छी तरह से जर्मन नहीं बोलता? क्या उसे विशेष जर्मन भाषा की सहायता की आवश्यकता है? ऐसे में सीधे विद्यालय से संपर्क करें।
विद्यालयों के प्रकार
विद्यालय विभिन्न प्रकार के होते हैं। 6 या 7 साल की उम्र से सभी बच्चे प्राथमिक विद्यालय में जाते हैं। चौथी कक्षा के बाद, बच्चे एक उच्चतर विद्यालय में जाते हैं। चौथी कक्षा के अंत में प्राथमिक विद्यालय आपको एक सलाह देता है कि आपका बच्चा किस विद्यालय में जा सकता है। अलग-अलग संघीय राज्य के अनुसार विभिन्न प्रकार के उच्चतर विद्यालय होते हैं।
माध्यमिक विद्यालय (5वीं से 9वीं या 10वीं कक्षा): माध्यमिक विद्यालय में व्यावहारिक/प्रयोगात्मक विषय भी होते हैं जैसे वर्कशॉप या तकनीकी चित्रण। माध्यमिक विद्यालय में 9वीं कक्षा के बाद एक माध्यमिक विद्यालय की समापन परीक्षा का प्रमाणपत्र या माध्यमिक विद्यालय समापन की योग्यता का प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाता है। सभी संघीय राज्यों में माध्यमिक विद्यालय नहीं होते। अक्सर सामान्य माध्यमिक विद्यालय भी होते हैं। सामान्य माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को बहुत अधिक प्रयोगात्मक अनुभव मिलता है। 9वीं कक्षा के बाद यहाँ सामान्य माध्यमिक विद्यालय का प्रमाणपत्र या सामान्य माध्यमिक विद्यालय की योग्यता का प्रमाणपत्र) प्राप्त किया जा सकता है। यहां 10वीं कक्षा के बाद भी एक माध्यमिक विद्यालय का प्रमाणपत्र प्राप्त किया जा सकता है। इसके बाद आप किसी पेशे में प्रशिक्षण ले सकते हैं या एक उच्चतर विद्यालय में जा सकते हैं।
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (5वीं से 10वीं कक्षा): यह एक उच्चतर विद्यालय है, जहां पर उच्चतर माध्यमिक स्तर का प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाता है। इसके बाद, आप किसी पेशे में प्रशिक्षण ले सकते हैं या एक उच्चतर विद्यालय में जा सकते हैं।
उच्चतर माध्यमिक (सीनियर सेकंडरी) (5वीं से 12वीं/13वीं कक्षा): उच्चतर माध्यमिक में आबितुर (जर्मन विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा) किया जाता है, और इसके बाद आप विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर सकते हैं। उच्चतर माध्यमिक में अक्सर 2-3 विदेशी भाषाएं, जैसे अंग्रेजी और फ्रांसीसी भाषा सिखाई जाती हैं। छात्र-छात्राएं संघीय राज्य के अनुसार 12वीं कक्षा (G8) या 13वीं कक्षा (G9) के बाद आबितुर करते हैं ।
समग्र विद्यालय (5वीं से 13वीं कक्षा): कुछ संघीय राज्यों में समग्र विद्यालय होते हैं। यहां, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक एक ही भवन में होते हैं। यहां, आप माध्यमिक विद्यालय समापन प्रमाणपत्र, उच्च माध्यमिक विद्यालय समापन प्रमाणपत्र या आबितुर (जर्मन विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा) का प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं। अगर कोई बच्चा विद्यालय बदलना चाहता है, उदाहरण के लिए माध्यमिक से उच्च माध्यमिक में, तो यह आसान होता है। अलग-अलग विद्यालयों में भी बदलाव संभव है, लेकिन यह उतना आसान नहीं होता।
विशेष विद्यालय: हर संघीय राज्य में द्विभाषी विद्यालय, विशेष सहायता स्कूल, विशेषज्ञ स्कूल और पेशेवर विद्यालय भी होते हैं। इन विद्यालयों के बारे में अधिक जानकारी हमारे इन्फोग्राफिक्स में उपलब्ध है।
माध्यमिक विद्यालय (5वीं से 9वीं या 10वीं कक्षा): माध्यमिक विद्यालय में व्यावहारिक/प्रयोगात्मक विषय भी होते हैं जैसे वर्कशॉप या तकनीकी चित्रण। माध्यमिक विद्यालय में 9वीं कक्षा के बाद एक माध्यमिक विद्यालय की समापन परीक्षा का प्रमाणपत्र या माध्यमिक विद्यालय समापन की योग्यता का प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाता है। सभी संघीय राज्यों में माध्यमिक विद्यालय नहीं होते। अक्सर सामान्य माध्यमिक विद्यालय भी होते हैं। सामान्य माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को बहुत अधिक प्रयोगात्मक अनुभव मिलता है। 9वीं कक्षा के बाद यहाँ सामान्य माध्यमिक विद्यालय का प्रमाणपत्र या सामान्य माध्यमिक विद्यालय की योग्यता का प्रमाणपत्र) प्राप्त किया जा सकता है। यहां 10वीं कक्षा के बाद भी एक माध्यमिक विद्यालय का प्रमाणपत्र प्राप्त किया जा सकता है। इसके बाद आप किसी पेशे में प्रशिक्षण ले सकते हैं या एक उच्चतर विद्यालय में जा सकते हैं।
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (5वीं से 10वीं कक्षा): यह एक उच्चतर विद्यालय है, जहां पर उच्चतर माध्यमिक स्तर का प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाता है। इसके बाद, आप किसी पेशे में प्रशिक्षण ले सकते हैं या एक उच्चतर विद्यालय में जा सकते हैं।
उच्चतर माध्यमिक (सीनियर सेकंडरी) (5वीं से 12वीं/13वीं कक्षा): उच्चतर माध्यमिक में आबितुर (जर्मन विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा) किया जाता है, और इसके बाद आप विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर सकते हैं। उच्चतर माध्यमिक में अक्सर 2-3 विदेशी भाषाएं, जैसे अंग्रेजी और फ्रांसीसी भाषा सिखाई जाती हैं। छात्र-छात्राएं संघीय राज्य के अनुसार 12वीं कक्षा (G8) या 13वीं कक्षा (G9) के बाद आबितुर करते हैं ।
समग्र विद्यालय (5वीं से 13वीं कक्षा): कुछ संघीय राज्यों में समग्र विद्यालय होते हैं। यहां, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक एक ही भवन में होते हैं। यहां, आप माध्यमिक विद्यालय समापन प्रमाणपत्र, उच्च माध्यमिक विद्यालय समापन प्रमाणपत्र या आबितुर (जर्मन विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा) का प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं। अगर कोई बच्चा विद्यालय बदलना चाहता है, उदाहरण के लिए माध्यमिक से उच्च माध्यमिक में, तो यह आसान होता है। अलग-अलग विद्यालयों में भी बदलाव संभव है, लेकिन यह उतना आसान नहीं होता।
विशेष विद्यालय: हर संघीय राज्य में द्विभाषी विद्यालय, विशेष सहायता स्कूल, विशेषज्ञ स्कूल और पेशेवर विद्यालय भी होते हैं। इन विद्यालयों के बारे में अधिक जानकारी हमारे इन्फोग्राफिक्स में उपलब्ध है।
विद्यालय का समय और अपराह्न देखभाल
अधिकांश विद्यालयों में पढ़ाई दोपहर या जल्दी दोपहर (14 या 15 बजे) खत्म होती है। इसके बाद, बच्चा अपराह्न देखभाल में जा सकता है, जैसे कि ‘होर्ट’ (बच्चों के लिए बाद का कार्यक्रम)। यहां, बच्चा अपराह्न में रह सकता है, उसे खाना दिया जाता है और गृहकार्य में मदद की जाती है। होर्ट के लिए लेकिन शुल्क लिया जाता है।
अब पूर्ण दिवसीय विद्यालय बढ़ते जा रहे हैं। इस विद्यालय में बच्चे पूरे दिन रहते हैं, आमतौर पर 16 या 17 बजे तक। उन्हें दोपहर का खाना मिलता है और गृहकार्य में मदद की जाती है। अक्सर बच्चों को विशेष पाठ्यक्रमों में भाग लेने का अवसर मिलता है, जैसे खेल, चित्रकला या नाटक। सरकारी पूर्ण दिवसीय विद्यालय मुफ्त होते हैं। निजी पूर्ण दिवसीय विद्यालयों में शुल्क लिया जाता है।
अब पूर्ण दिवसीय विद्यालय बढ़ते जा रहे हैं। इस विद्यालय में बच्चे पूरे दिन रहते हैं, आमतौर पर 16 या 17 बजे तक। उन्हें दोपहर का खाना मिलता है और गृहकार्य में मदद की जाती है। अक्सर बच्चों को विशेष पाठ्यक्रमों में भाग लेने का अवसर मिलता है, जैसे खेल, चित्रकला या नाटक। सरकारी पूर्ण दिवसीय विद्यालय मुफ्त होते हैं। निजी पूर्ण दिवसीय विद्यालयों में शुल्क लिया जाता है।
विद्यालय के विषय
बच्चों के पास विद्यालयों में कई विषय होते हैं। इनमें शारीरिक शिक्षा भी शामिल है। अक्सर तैराकी की कक्षा भी होती है। अधिकांश विद्यालयों में ईसाई धर्मशास्त्र का पाठ्यक्रम होता है। हालांकि, छात्र धर्मशास्त्र के पाठ्यक्रम से अपना नाम हटा सकते हैं और उनके पास वहां न जाने का विकल्प होता है I इसके विकल्प के रूप में नैतिक शिक्षा होती है, और कुछ विद्यालयों में अन्य धर्मों (जैसे इस्लाम या यहूदी धर्म) का पाठ्यक्रम होता है।
अगर आपके बच्चे को किसी विषय में कठिनाई हो, तो वह निजी शिक्षक से सहायता ले सकता है। यह या तो किसी निजी शिक्षक से हो सकता है, या फिर निजी शिक्षण संस्थान में। निजी शिक्षण सामान्यतः: कुछ सस्ता होता है।
अगर आपके बच्चे को किसी विषय में कठिनाई हो, तो वह निजी शिक्षक से सहायता ले सकता है। यह या तो किसी निजी शिक्षक से हो सकता है, या फिर निजी शिक्षण संस्थान में। निजी शिक्षण सामान्यतः: कुछ सस्ता होता है।
विद्यालय के बाहर की गतिविधियां
विद्यालय के बच्चे आमतौर पर साल में एक बार कक्षा यात्रा करते हैं। यह यात्रा सामान्यतः 3 से 5 दिन तक होती है। एक कक्षा मिलकर किसी अन्य शहर या स्थान पर जाती है। इसके अलावा, पैदल भ्रमण के दिन (हाइकिंग डेज़) भी होते हैं I बच्चे मिलकर एक सैर पर जाते हैं। इस प्रकार बच्चे इतिहास, संस्कृति और प्रकृति के बारे में सीखते हैं। विद्यालयों में स्कूल महोत्सव भी आयोजित किए जाते हैं, जहाँ उदाहरण के लिए छात्र-छात्राओं द्वारा नाटक प्रदर्शन या संगीत कार्यक्रम होते हैं।
माता-पिता
प्रत्येक स्कूल में एक माता-पिता प्रतिनिधिमंडल होता है, ये वे अभिभावक होते हैं जो स्कूल के साथ मिलकर काम करते हैं। साल में कई बार माता-पिता प्रतिनिधिमंडल की बैठकें होती हैं। इन बैठकों में अभिभावकों को शिक्षकों से महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है और वे एक-दूसरे को जान पाते हैं। वे किसी शिक्षक से व्यक्तिगत रूप से बात करने के लिए एक समय तय कर सकते हैं I इसे माता-पिता के साथ बैठक कहा जाता है। इसमें माता-पिता यह जानकारी प्राप्त करते हैं कि बच्चे का विद्यालय में क्या हाल है, उसकी क्या योग्यता/उपलब्धि है, और कहीं कोई समस्याएँ तो नहीं है।
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
जर्मनी में बच्चों के लिए स्कूल जाना अनिवार्य है। यहां तक कि जिन बच्चों की आवासीय स्थिति स्पष्ट नहीं है, उनके लिए भी कुछ संघीय राज्यों में स्कूल में जाने की अनिवार्यता होती है। आपको सामान्यतः अपने बच्चे को विद्यालय के शुरू होने से कई महीने पहले पंजीकरण करवाना होता है। विद्यालय में पहले दिन को प्रवेश समारोह कहा जाता है। जर्मनी में बच्चों को 9वीं कक्षा तक (कुछ संघीय राज्यों में 10वीं कक्षा तक) विद्यालय जाना जरूरी होता है।
बच्चे 6 या 7 साल की उम्र से स्कूल जाते हैं। छोटे बच्चों को आमतौर पर नई भाषा सीखने में कोई कठिनाई नहीं होती। अगर बच्चे जर्मन अच्छी तरह से नहीं बोलते, तो विद्यालय में अक्सर जर्मन सीखने के लिए अतिरिक्त अवसर प्रदान किए जाते हैं ।
आमतौर पर नहीं
पढ़ाई का समय आमतौर पर सुबह 7:30 बजे से 8:00 बजे के बीच शुरू होता है। प्राइमरी विद्यालय में पढ़ाई 11 बजे या 12 बजे तक समाप्त हो जाती है।
अन्य विद्यालयों (जैसे, उच्च माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक) में पढ़ाई आमतौर पर 13 बजे तक होती है, और कभी-कभी यह और देर तक भी हो सकती I पूर्णकालिक स्कूल भी हैं जहाँ पढ़ाई आमतौर पर 16 बजे या 17 बजे तक चलती है। इन विद्यालयों में बच्चे गृह कार्य भी कर सकते हैं और उन्हें दोपहर का खाना भी मिलता है। यह विशेष रूप से उन परिवारों के लिए अच्छा है जहाँ माता-पिता काम करते हैं। यह व्यवस्था सभी प्रकार के स्कूलों में उपलब्ध है।
अन्य विद्यालयों (जैसे, उच्च माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक) में पढ़ाई आमतौर पर 13 बजे तक होती है, और कभी-कभी यह और देर तक भी हो सकती I पूर्णकालिक स्कूल भी हैं जहाँ पढ़ाई आमतौर पर 16 बजे या 17 बजे तक चलती है। इन विद्यालयों में बच्चे गृह कार्य भी कर सकते हैं और उन्हें दोपहर का खाना भी मिलता है। यह विशेष रूप से उन परिवारों के लिए अच्छा है जहाँ माता-पिता काम करते हैं। यह व्यवस्था सभी प्रकार के स्कूलों में उपलब्ध है।
G8 का मतलब है कि ग्युम्नाज़ियुम में 8 साल की पढ़ाई होती है। इसका मतलब है कि छात्र 12वीं कक्षा के बाद आबितुर (उच्च शिक्षा के लिए परीक्षा) देते हैं।
G9 का मतलब है कि ग्युम्नाज़ियुम में 9 साल की पढ़ाई होती है। इस में छात्र 13वीं कक्षा के बाद आबितुर देते हैं। यह व्यवस्था संघीय राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। एक समग्र स्कूल में आमतौर पर केवल G9 होता है।
G9 का मतलब है कि ग्युम्नाज़ियुम में 9 साल की पढ़ाई होती है। इस में छात्र 13वीं कक्षा के बाद आबितुर देते हैं। यह व्यवस्था संघीय राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। एक समग्र स्कूल में आमतौर पर केवल G9 होता है।
सबसे अच्छा तरीका है कि आपका बच्चा ग्युम्नाज़ियुम या समग्र स्कूल में जाए, क्योंकि यहां वह सीधे आबितुर कर सकता है। लेकिन अगर आपका बच्चा पहले किसी अन्य स्कूल से पढ़ाई करता है, तो भी वह बाद में आगे आबितुर कर सकता है या ग्युम्नाज़ियुम में बदल सकता है।
हाँ। छोटे बच्चे भाषा जल्दी सीख लेते हैं। बड़े बच्चों के लिए विद्यालय में ब्रिज कोर्स या जर्मन सीखने के विशेष अवसर होती हैं।
सामान्यतः प्राथमिक विद्यालय की चौथी कक्षा में यह निर्णय लिया जाता है कि बच्चा माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक या ग्युम्नाज़ियुम (सीनियर सेकेंडरी) में से किसमें जाएगा। एक समग्र स्कूल में, सभी प्रकार के स्कूल एक ही भवन में होते हैं। यहां आपको यह तुरंत तय नहीं करना पड़ता कि बच्चा कौन सा (पाठ्यक्रम) करना चाहेगा I छात्र-छात्राएं माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक या अबितुर कर सकते हैं I
हमेशा नहीं। नॉर्थ राइन-वेस्टफालिया और हैम्बर्ग के संघीय राज्यों में माता-पिता प्राथमिक विद्यालय चुन सकते हैं I अन्य संघीय राज्यों में, बच्चों को अपने रहने के स्थान के पास के एक सरकारी प्राथमिक स्कूल में जाना होता है। कुछ अपवाद भी हो सकते हैं, जैसे कि अगर आपका बच्चा एक निजी विद्यालय में जाना चाहता है या उसके पास विशेष कारण हैं। छोटे स्थानों में भी प्राथमिक स्कूल होते हैं। ऊंची कक्षाओं के विद्यालय हर जगह नहीं होते। अधिकतर संघीय राज्यों में, आप ऊंची कक्षाओं को स्वयं ढूंढते हैं। प्राथमिक विद्यालय की चौथी कक्षा में आपको सलाह मिलती है कि आपका बच्चा किस विद्यालय में जा सकता है। फिर यह महत्वपूर्ण होता है कि आप पास में एक उचित स्कूल ढूंढें।
क्या आपके बच्चे को सरकारी प्राथमिक स्कूल में जाना है? फिर, सामान्यतः आपके बच्चे को निवास स्थान के पास के सरकारी प्राथमिक स्कूल में ही जाना होगा। हालांकि, नॉर्थ राइन-वेस्टफालिया और हैम्बर्ग के संघीय राज्यों में माता-पिता को प्राथमिक स्कूल चुनने की स्वतंत्रता होती है। ऊँची कक्षाओं के विद्यालय का चयन अधिकतर संघीय राज्यों में आप खुद करते हैं।
विद्यालय चुनने में ये सवाल आपकी मदद कर सकते हैं:
विद्यालय चुनने में ये सवाल आपकी मदद कर सकते हैं:
- क्या स्कूल पास में है?
- आपके बच्चे के दोस्त किस स्कूल में जाते हैं?
- ऊँची कक्षाएँ: आपका बच्चा किस विद्यालय में जा सकता है या जाना चाहता है? शिक्षकों से आपको क्या सलाह मिली है?
स्कूल बस आमतौर पर केवल तब होती है, जब स्कूल किसी अन्य स्थान पर होता है। शहर में बच्चों को सार्वजनिक परिवहन (जैसे बस या मेट्रो) से स्कूल जाना पड़ता है। अक्सर विद्यालय पास में ही होता है और आपका बच्चा पैदल या साइकिल से स्कूल जा सकता है।