जर्मनी में हर व्यक्ति को अपनी धार्मिक आस्था स्वतंत्र रूप से चुनने और उसका पालन करने का अधिकार है। जर्मनी में लगभग एक-तिहाई लोग आधिकारिक रूप से किसी धर्म का पालन नहीं करते। अधिकांश जर्मन ईसाई धर्म से संबंधित हैं और वे रोमन कैथोलिक या प्रोटेस्टेंट हैं। ईसाई धर्म के कई त्यौहार, जैसे क्रिसमस और ईस्टर, कानूनी अवकाश के दिन हैं। इसका मतलब है कि इन दिनों अधिकांश लोगों को काम नहीं करना पड़ता। जर्मनी में अन्य धर्मों के अनुयायी भी बड़ी संख्या में रहते हैं।
स्कूलों में प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक धर्म की शिक्षा दी जाती है। कुछ स्कूलों में ईसाई-आर्थोडॉक्स, यहूदी और इस्लामिक धर्म की शिक्षा भी उपलब्ध है। माता-पिता यह तय कर सकते हैं कि उनका बच्चा धर्म शिक्षा में भाग लेगा या नहीं, और यदि लेगा, तो किस धर्म की शिक्षा प्राप्त करेगा।
जर्मनी में लोग अपनी लैंगिकता/यौन रुझान को खुले तौर पर जी सकते हैं। इसका मतलब यह है कि विषम लैंगिकता की तरह ही समलैंगिक प्रेम, उभयलैंगिकता, पार्लैंगिकता (ट्रांस)- और अंतरलैंगिकता (इंटरसेक्सुअलिटी) भी जीवन का हिस्सा हैं। एलजीबीटीक्यू आंदोलन की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। यह लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर और क्वियर लोगों का समुदाय है। जर्मनी में इन्हें संरक्षण प्राप्त है। इंद्रधनुष ध्वज एलजीबीटीक्यू आंदोलन का एक प्रतीक है।
1 अक्टूबर 2017 से जर्मनी में समलैंगिक जोड़े, यानी एक पुरुष, एक पुरुष के या एक महिला, एक महिला के साथ शादी कर सकते हैं। उनके पास समान अधिकार और कर्तव्य हैं। उदाहरण के लिए, इसका मतलब है कि वे बच्चों को गोद ले सकते हैं। वे अपने साथी का नाम अपना सकते हैं। उन्हें एक-दूसरे का साथ देना होगा।
यदि अधिकारों का पालन नहीं हो पाता है, तो कुछ मामलों में यह भेदभाव का व्यवहार हो सकता है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमारा जानकारी पाठ “
भेदभाव की स्थिति में व्यवहार” पढ़ें।